आगाज़
चलो ना आज कुछ यूँ करते हैं आगाज़-ओ-अंजाम के सिरे जोड़ते हैं अच्छा! ‘सा’ से चलो शुरू करते हैं.
चलो ना आज कुछ यूँ करते हैं आगाज़-ओ-अंजाम के सिरे जोड़ते हैं अच्छा! ‘सा’ से चलो शुरू करते हैं.
मैने जब अपनी पहली नज़्म लिखी थी अपनी बड़ी बड़ी सी आँखों को कैसे तुमने और भी बड़ा करके देखा …
मंजर-दरमंज़र रू-ब-रू, पसमंज़र बस तारीकी ही तारीकी है तारी – मैं