तहज़ीब
पहनने को बस पत्ते ही हुआ करते थे अब मगर हमने शॉर्ट स्कर्ट भी बना लिये हमारे तहज़ीब ने कितनी …
पहनने को बस पत्ते ही हुआ करते थे अब मगर हमने शॉर्ट स्कर्ट भी बना लिये हमारे तहज़ीब ने कितनी …
बचाना अपना खुदी का चेहरा की चेहरे ही औकात बनाते हैं बिन चेहरे के सिक्के खोटे कहलाते हैं
यूँही नही दरवाज़ा खुला रखते हैं घर में रोशनी के लिये धूप भी चाहिए तुम भी तो आजकल आती नहीं …
भूख प्यास की दौड़ है ये सारी जन्नत में सुना है ये नहीं होता ख़तरा मौत से नहीं ज़िंदगी से …
डोर ये उनकी जिंदगी से बँधी है कि नींद में वो साँस लेते हैं जागते हैं ख़्वाब तो मर जाते …
सुबह का भूला हूं इंतज़ार शाम का है बीत गए कितने बरस