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आना जब मेरे अच्छे दिन हों !

जब दिल में याद हो तुम्हारी-
जलते दिए की तरह
और मन के किसी कोने में
चुभती हों इच्छाएं.
सोच फैली हो-
दूर तक फैले
नीले समंदर की तरह
और मुझ पर विश्वास हो-
अडिग खड़े पर्वत की तरह

आना जब मेरे अच्छे दिन हों !

जब तुम्हारी यादों पर
धुल की पर्त ना चढ़ी हो
आना तेज बहती नदी की तरह-
बहाने के लिए
जैसे बादल आते हैं-
रूठी धरती को मनाने के लिए.

जब मैं हताश रहूँ
बहत ही निराश रहूँ,
टूट चुका हो मेरा खुद से विश्वास,
अपनी दया से लबालब भरा रहूँ
घनघोर अँधेरे में बस यूँ ही पड़ा रहूँ
तब मत आना-
दया या उपकार की तरह,
आना
अगर आ सको-
थोड़े से प्यार की तरह.

छूना मुझे और देखना
बाकी है अभी भी सिहरन
उस जगह-
जहाँ छुआ था पहली बार तुमने

आना जब मेरे अच्छे दिन हों !

तुम चाहो तो अब भी आ सकती हो
हो सकता है
तुम्हारे आने से
मेरे अच्छे दिन वापस आ जाएँ !